वाराणसी सीट मोदी बनाम केजरीवाल भारी कौन

जबरदस्त गर्मी और धूप की झुलसाती तपिश आज जैसे चढ़े हुए राज्नीतिक पारे से प्रतिस्पर्द्धा कर रही थी। जंग शुरू होने से पहले ही कांग्रेस के अजय राय, बसपा के विजय जायसवाल और सपा के कैलाश चौरसिया ने जैसे हथियार दाल दिये थे। मुकाबला मोदी बनाम केजरीवाल हो गया था। बनारस के इस चुनाव में इस बार कई रंग देखने को मिले। एक समय ऐसा लग रहा था कि मोदी के मुकाबले मे अजय राय हो सक्ता है कुछ टिक जाऐं क्योंकि भुमिहार तो उनके साथ था ही मुसलमान भी जोर पकडे था लेकिन मोदी की सुनामी ने सबको हिला दिया। उधर पूर्वांचल के डॉन मोख्तार अंसारी ने अजय राय को समर्थन दिया तो लगा कि ये कहीं गेम तो नहीं क्योंकि इस समर्थन ने अजय राय के परंपरागत भुमिहार वोट बैन्क को हिला दिया। और अखिलेश राय की ह्त्या के आरोपित से समर्थन लेने पर अजय राय को कठघरे मे खड़ा कर दिया और अखिलेश राय की पत्नी अलका राय मोदी के खेमे मे चली गयीं। उधर
अजय राय जब तक परंपरागत भुमिहार वोट बैन्क को सम्हालते तब तक मुस्लिम वोट भी छिटक कर केजरीवाल के साथ चला गया। कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी भी कुछ नहीं कर पाए।
यह एक अलग सवाल हो सकता है कि मोदी का मुकाबला करने के लिये केजरीवाल को फंडिंग किसने की लेकिन जिस तरह से मोदी के रोड मार्च का जवाब केजरीवल ने दिया वह निसंदेह मोदी के शो पर भारी था। इसके बाद राहुल के शो मे भी कुछ खास नहीं हुआ ना ही अखिलेश यादव के शो मे दम दिखा। बसपा ने कोई शो किया नहीं इसलिए उसकी कोइ बात नहीं।
बनारस में हालांकि वोटिंग उम्मीद से कम हुई है लेकिन फ़िर भी उसने अपना पिछला रेकॉर्ड तोड़ दिया है। मुकाबला सिर्फ़ मोदी केजरीवाल के बीच दिखा है। वो भी कांटे का। अब एक अटैची लेकर बनारस आने वाले, चुनाव लड़ने के लिए मतदाताओं से एक एक रुपया मांगने वाले केजरीवाल का जादू बनारसियों के कितना सर चढ़ के बोला यह तो १६ के बाद पता चलेगा लेकिन कांटे के इस मुक़ाबले मे हार जीत का अन्तर अगर कुछ हजार मतों के बीच सिमट गया तो मोदी जीतकर भी हार जाएँगे और केजरी हार के भी जीत जाएँगे। तब मोदी बनारस सीट छोड़ेंगे और सबकों ठगने वाले बनारसी ठगे जाएँगे।

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