swami vivekanand
स्वामी विवेकानंद अउर हम
प्रदीप सारंग- 9919007190
अपने राष्ट्रबोध वाले जनजागरण-संबोधनन से 1857 के स्वाधीनता आंदोलन केर लगातार धीम होइ रही आँच का हवा दियै वाले, विदेशिन के दिल दिमाग मा पहिले से बैठि भरम व पूर्वाग्रह दूरि करिकै भारतीय दर्शन कै प्रतिष्ठा स्थापित करै वाले, छुआछूत का राष्ट्र के विकास का सबसे बड़ा बाधक तत्व मानि कै राष्ट्रीयता की धारा से अलग थलग पड़े निर्धन अभावग्रस्त लोगन के उत्थान तईं "दरिद्र-नारायण" का एकु नवा दर्शन गढ़ै वाले, "मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है" समझावै वाले, स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिवस पर आप सबन का हमार शुभकामना।
अक्सर लोग विवेकानंद के तीन चौथाई पूर्वार्ध जीवन केर चर्चा परिचर्चा करत हैं मुला आखिरी चौथाई जीवन काल मा कीन गए कार्य, उनके दिये गए अनुभवन का जाने-अनजाने बिसराये जाय रहे हैं। हमार मानब है कि कोउके जीवन मा विचार लगातार बदला करत हैं। अउर आखिर तक भटकाव से ऊपर उठि कै अपने ज्ञान-अनुभव अनुसार सन्मार्ग अपनावत है।
अपने आखिरी एक चौथाई जीवन-काल मा विवेकानंद जी का अनुभव जनित उद्घोष रहा है- "हम वहि ईश्वर के उपासक हन जिहिका अज्ञानी लोग मनुष्य कहत हैं।"
हम सबसे चाहित है कि विवेकानंद जी का पूरा जानै तईं उनके आखिरी जीवन के सात सालन के अनुभव जरूर पढ़ें अउर समझे जाँय।
आखिर मा याक दईं फिरि आप सबन का चिरयुवा स्वामी विवेकानंद जी के जनम दिन पर बहुतेरी शुभकामनाएं।
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