गेमिंग के नाम पर ठगीः कसा शिकंजा, नहीं दे पाएंगे धोखा

प्रतीकात्मक चित्र


रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ। आजकल टेलीविजन पर बड़ी संख्या में ऑनलाइन गेमिंग, भ्रामक खेलों आदि के विज्ञापन दिखाए जा रहे हैं। इस तरह के विज्ञापन भ्रामक होते हैं, उपभोक्ताओं का भी सही रूप से भला नहीं करते यानी उनको आर्थिक लाभ नहीं देते हैं। इसके साथ ही इसके साथ जुड़े अन्य जोखिम को भी स्पष्ट नहीं करते हैं। इसलिए भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) द्वारा ऑनलाइन गेमिंग पर ताजा गाइडलाइन जारी की गई है जो 15 दिसम्बर, 2020 से प्रभावी है।

 गाइडलाइन के अनुसार

1.    कोई भी गेमिंग विज्ञापन, 18 वर्ष से कम आयु अथवा 18 वर्ष से कम आयु का प्रतीत होने वाले किसी भी व्यक्ति को वास्तविक धनराशि जीतने के लिए खेले जा रहे ऑनलाइन खेल में शामिल नहीं दिखा सकता, अथवा ऐसा व्यक्ति इन खेलों को खेल सकता है, इसका सुझाव नहीं दे सकता।

 2.    इस तरह के हर गेमिंग विज्ञापन में निम्नलिखित अस्वीकरण स्वष्ट रूप से होना चाहिएः

इस गेम में वित्तीय जोखिम शामिल है और यह व्यसनकारी हो सकता है। इस तरह के अस्वीकरण के लिए विज्ञापन में 20 प्रतिशत से कम जगह नहीं होनी चाहिए। यानी स्पष्टता होनी चाहिए।

इसे एएससीआई कोड में विशेष रूप से निर्धारित अस्वीकरण दिशा-निर्देशों 4 (i) (ii) (iv) और (viii) को पूरा करना चाहिए।

यह बात भी स्पष्ट होनी चाहिए इस गेम में वित्तीय जोखिम शामिल है और यह व्यसनकारी हो सकता है। कृपया जिम्मेदारी से और अपने जोखिम पर खेलें।

 इस तरह के डिस्क्लेमर को विज्ञापन के अंत में सामान्य बोलचाल की गति में रखा जाना चाहिए। यह विज्ञापन में बोले जाने वाली भाषा में ही होना चाहिए। श्रव्य-दृश्य माध्यमों के लिए, अस्वीकरण को श्रव्य और दृश्य दोनों माध्यमों में होना चाहिए।

3.    विज्ञापनों को आय के अवसर या वैकल्पिक रोजगार विकल्प के रूप में वास्तविक धनराशि की जीत के लिए ऑनलाइन गेमिंग के तौर पर पेश नहीं किया जाना चाहिए।

4.    विज्ञापनों को यह सुझाव नहीं देना चाहिए कि गेमिंग गतिविधि में शामिल व्यक्ति किसी भी तरह से दूसरों की तुलना में अधिक सफल हैं।

Comments