जन्मदिन पर विशेष
मनोहर जोशीः चाहने वालों के सर, सूझबूझ का देश को दिया लाभरामकृष्ण वाजपेयी
श्री मनोहर जोशी का बहुआयामी व्यक्तित्व है, उन्होंने सदा राष्ट्रीय विकास के विभिन्न पक्षों पर ध्यान दिया तथा श्रम, कृषि, औद्योगिक विकास, व्यवसाय, व्यापार, आवास, पर्यावरण, रोजगार, शिक्षा से संबंधित विभिन्न मुद्दों तथा मराठी भाषा, साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य किया। लंबे समय के एक सफल प्रतिष्ठित व्यवसायी के रूप में श्री जोशी कई प्रतिष्ठानों के अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक, स्वामी, भागीदार रहे। वह औद्योगिक तथा कृषि क्षेत्रों को समान महत्व देने में विश्वास रखते हैं और इसीलिए उन्होंने दोनों की प्रगति के लिए कड़ा परिश्रम किया।
उन्होंने जागातिक मराठी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्री की स्थापना की। अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान उन्होंने राज्य में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए "एडवान्टेज महाराष्ट्र काफ्रेंस" का आयोजन किया; किसानों के लिए "एग्रो एडवान्टेज महाराष्ट्र" नामक कार्यक्रम चलाया तथा कृषि के क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी प्रदर्शित करने वाली एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया। अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान उन्होंने मुंबई में कई फ्लाई ओवरों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उन्होंने मुंबई-पुणे एक्सप्रैसवे परियोजना, कृष्णा घाटी सिंचाई परियोजना तथा "टैंकर-मुक्त महाराष्ट्र योजना" जैसी योजनाओं की संकल्पना की और उन्हें आरम्भ किया।
एक शिक्षाविद् के रूप में श्री जोशी ने शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कोहिनूर तकनीकी संस्थान की स्थापना के प्रेरणास्रोत वही थे, यह संस्थान युवाओं को तकनीकी शिक्षा प्रदान करता है ताकि वे स्वःरोजगार पा सकें। वह मुंबई विश्वविद्यालय सीनेट तथा कार्यकारी परिषद् के सदस्य भी रहे। जब वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने नैतिक शिक्षा तथा मूल्य आधारित शिक्षा के महत्व पर बल दिया। इस सराहनीय प्रयास के लिए वह अपने प्रशंसकों के बीच "सर" नाम से जाने जाते हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने महिलाओं के लिए कामधेनू नीति, बुजुर्गों के लिए मातोश्री वृद्धाश्रम योजना आरम्भ की तथा युवाओं के लिए सैनिक स्कूल खोले।
सभी अच्छे कार्यों की सतत इच्छा रखने वाले व्यक्ति के रूप में उन्होंने स्वच्छ मुंबई-हरित मुंबई के विचार की संकल्पना की और वह हरित आंदोलन से सक्रिय रूप से जुड़े रहे। उन्होंने मराठी में "स्वच्छ मुंबई; हरित मुंबई" नामक पुस्तक लिखी, जोकि पर्यावरण संबंधी समस्याओं तथा स्वच्छ मुंबई आंदोलन पर केन्द्रित थी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान संस्कृति तथा साहित्य के क्षेत्र में अपनी सक्रिय भागीदारी के तहत उन्होंने मुंबई में कला अकादमी की स्थापना की; महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार की संस्थापना की तथा शिवाजी पार्क, मुंबई में गौरवपूर्ण अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन आयोजित किया।
श्री जोशी की विशेषज्ञता और राजनीतिक सूझ-बूझ का कई बार विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लाभ उठाया गया। शांति और सहयोग के कट्टर समर्थक के रूप में उन्होंने अंतर-संसदीय सहयोग को बढ़ावा देने के महत्व को उजागर करने का कोई अवसर नहीं गंवाया। लोक सभा अध्यक्ष के रूप में उन्होंने, जिनेवा में अंतर-संसदीय परिषद के विशेष सत्र, ढाका में राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन तथा चीन, क्रोएशिया, ईरान, पनामा, पोलैंड, रूस और जाम्बिया में भारतीय संसदीय शिष्टमंडलों का नेतृत्व किया। इस अवधि के दौरान मेक्सिको, सूरीनाम, कनाडा, तुर्की, ग्रीस, लाओ पी डी आर, चेक गणराज्य, उक्रेन और इंडोनेशिया आदि से संसदीय शिष्टमंडल हमारी संसद आए और लोक सभा अध्यक्ष श्री जोशी तथा संसद सदस्यों के साथ विचारों का आदान-प्रदान किया।
लोकसभा अध्यक्ष प्रोफाइल से साभार
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