वो कौन था

ये कहानी भी मेरी माँ सुनती थीं। ये घटना उस समय की है जब वह बच्ची थीं। वह अपनी दादी के साथ खेत से होकर आ रहीं थीं। शाम का समय था गरमी का मौसम था। तेज हवाएं चल रही थीं। ऐसा लगता था पानी बरसेगा। इसलिए दोनों जनी जल्द से जल्द घर लौटना चाहती थीं। तभी मेरी माँ ने एक विस्मय कारी नजारा देखा। और वह चौंक गई। उन्होंने ऊँगली उठा कर दादी से कहा अजिया वो देखो। अजिया ने देखा आकाश में एक साधू एक हाथ ऊपर उठाये एक बवंडर जैसे घेरे में चला जा रहा है। उन्होंने प्रणाम कर कहा हाँ ! उंगली मत दिखाओ साधू महाराज कहीं जा रहे हैं। ध्यान भंग हो जाएगा। माँ ने पूछा यह कैसे हवा में उड़ रहे हैं। उन्होंने कहा यह कोई सिद्ध पुरुष हैं जो वायु मार्ग से अपने गंतव्य को जा रहे हैं। वो क्या था ?

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