कुछ संगी साथी और आराध्य पत्रकार-1
लखनऊ में निवास के दौरान घर के अखबारी माहौल का असर मुझ पर भी पड़ने लगा। और जब मै १० वीं में था तभी से सम्पादक के नाम पत्र लिखने शुरू कर दिये। उस समय लालकुआ में हमारे घर के पास अमर उजाला का दफ्तर था वहाँ के प्रभारी उस समय अच्युतानंद मिश्रा थे मै पिताजी के जरिये उन से मिला था और पिताजी को फ़ोन पर सन्देश देने के लिए अक्सर मै वहाँ चला जाता था वहाँ पर सुवाष दवे जी से मेरी पहली मुलाक़ात हुई। हमारे घर के पास ही पी के राय दादा रहते थे। और उनके पास दैनिक आज के सम्पादक राजेन्द्र द्विवेदी रहते थे। उस समय दैनिक आज में उपेन्द्र मिश्रा, रणविजय सिंह, नथुनी यादव आदि थे। नवभारत टाइम्स के सम्पादक रामपाल सिंह थे। हरी नारायण निगम जी दैनिक जागरण छोड़ कर हिंदुस्तान जा चुके थे। नवभारत टाइम्स में प्रमोद जोशी, नवीन जोशी, डॉ. दीप्ति, रामकृपाल सिंह जी थे। लखनऊ आकाशवाणी में सतीश सोनकर जी उस समय युववाणी कार्यक्रम देखते थे। कबीर शाह श्रमिकों का कार्यक्रम देखते थे। मुझे १९८४ में आकाशवाणी में युववाणी कार्यक्रम में पहला मौक़ा सतीश सोनकर जी ने दिया। अब्दुल वासे उस समय साइंस रिपोर्टर थे। दूरदर्शन में अमृत लाल नागर के पुत्र कुमुद नागर उस समय ड्रामा देखते थे। शरद नागर संगीत नाटक अकादमी में थे। दूरदर्शन में जब विलायत जाफरी साहब निदेशक थे मैंने पहली डाकुमेंट्री ख़बरों के सौदागर में सयोग किया। यह बात १९९० की है। उस समय राजेन्द्र कौल कैमरामेन थे और एम के नादिर प्रोडूसर। स्वतंत्र भारत भी लखनऊ का एक अहम् समाचार पत्र था। जिसमे अशोक जी की परम्परा में चंद्रोदय दीक्षित, वीरेन्द्र सिंह, शिव सिंह सरोज, राजनाथ सिंह सूर्य, उदय सिन्हा, घनश्याम पंकज जैसे सम्पादक हुए। स्वतंत्र भारत में शंकर जी, अनूप श्रीवास्तव, वी के सुभाष, अशोक त्रिपाठी, मनोज तिवारी, रवि वर्मा, चन्द्राजी, राकेश शुक्ला से अक्सर मुलाकातें होती थीं। अमृत प्रभात में राम सागर जी, रामदत्त मिश्रा, विनोद श्रीवास्तव विनोद सिंह, एस पी सिंह आदि थे। राष्ट्र धर्म के सम्पादक वीरेश्वर जी थे। फ़ोटो ग्राफरों में सत्यपाल प्रेमी, मुन्ने बक्शी, बी डी गर्ग थे। ये १९८० से १९९४ तक का लेखा जोखा था। यदि किसी का नाम छूट गया है और छूटा अवश्य होगा तो मित्रों से निवेदन है कि उसे ठीक कर दें।
Comments
Post a Comment