...और मि. डेविड ने वादा निभाया
मि. डेविड आवारा जानवरों के मसीहा। उन्होंने मुझसे कहा था कि अगर सड़क पर किसी आवारा जानवर को बीमार देखूं तो उन्हें फोन करूँ। कल रात को वह मौक़ा आ गया। मेरे कार्यालय के समीप एक गाय का बछड़ा बैठा हुआ था वह बीमार लग रहा था। रात में मै जब चाय पीने बाहर निकला तो देखा वह लेता हुआ है और बहुत धीमी सांस चल रही है। मैंने डेविड को फोन किया और वह आए। उन्होंने गाय के बछड़े को देखा उन्होंने बताया कि उसे ठण्ड लगी है। और भूख के कारण तेज बुखार भी है। मेरे साथ साथी विनोद शर्मा भी थे उन्होंने एक पैकेट डबलरोटी खरीद कर उसे खिलायी और डेविड ने तीन इंजेक्शन लगाए तो वह बछड़ा खड़ा हो गया। तब तक मेरे साथी मधुकर भी आ गए। वह कहने लगे कि उन्होंने देखा है कि दूध का धंधा करने वाले बछिया तो पाल लेते हैं लेकिन बछड़ों को न तो दूध देते हैं न ही दाना पानी उन्हें मरने के लिए लावारिस छोड़ देते हैं। मै सोच रहा था कि कितनी बड़ी विडंबना है। जब ये हाल तीन लोक से न्यारी काशी का है तो और जगह क्या होता होगा। लोग दूध लेते हैं खुद पीते हैं अपने बच्चों को पिलाते हैं लेकिन उस दूध में कितनी आहें कितना दर्द कितनी तड़प छिपी है इसका अहसास नहीं हो पाता।
wajpeyi ji aapko bahut bahut badhi is nek kary ke liye. vinod shrma ji aur madhukar ji ko bhi badhi. aap sabne sadk par pade us janwar ke bare me chinta ki jo kisi se kuch kah nhi sakte. mistar devid ke is abhiyan me wajpeyi ji aap bhi sahyog kariye
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