आओ खड़ा करें एक नया आंदोलन

जागो मतदाता जागो

मै इन दिनों बनारस में हूँ। यहाँ एक मेरे अग्रज श्री अमिताभ जी हैं जो पिछले चालीस से अधिक वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। अमिताभ जी से अक्सर सामयिक विषयों पर चर्चा होती रहती है। आज मिले तो मतदाता और चुनाव के बढ़ते खर्च पर बात शुरू। वह कहने लगे अरे हाल में मुझे एक कार्यक्रम में बुलाया गया था। मैंने एक सुझाव दिया कि मतदान न करने वालों की सब्सिडी रोक दी जानी चाहिए। क्योंकि जब आप अपनी जिम्मेदारी से मुह चुरा रहे हो तो आपको सरकारी सुविधाओं को लेने का भी अधिकार नहीं है। मैंने कहा और प्रत्याशी जिस तरह से चुनाव खर्च बढ़वाते जा रहे हैं और उसका भी कई कई गुना खर्च कर रहे हैं उसका क्या बोले बिलकुल सही जितनी संसदीय सीटें हैं उतने करोड़ तो सीधे सीधे हो गया ये तो एक प्रत्याशी का खर्च हुआ अब एक सीट पर औसतन दस प्रत्याशी भी मान लीजिए तो ये औसत ५००० करोड़ से ऊपर गया। होना ये चाहिए कि चुनाव आयोग प्रत्याशियों से जमानत राशि तो ले पर इनको एक पैसा खर्च करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए। यदि आप अपने क्षेत्र में पांच साल सक्रीय रहे हैं और आपने समाज सेवा की है तो लोग तो आपको जानेंगे ही। फिर पैसा क्यों दें। हाँ जो लोग वोट देने जाएं उन्हें चालीस किलो गेहूं या बीस किलो चावल या चीनी दे दी जाए। लोग दौड़ कर वोट देने जाएंगे।

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