जागो मतदाता जागो

विश्व की प्राचीनतम संस्कृति को समेटे फक्कड़ी और मनमौजी बनारसियों को अगर कोई मूर्ख बना लेगा तो ऐसा सोचने वाला खुद मूर्ख बन जाएगा। जहां हर कदम पर अड़ी लगती हों जहां धर्म अध्यात्म से लेकर न्याय शास्त्र और राजनीति पर एक आम आदमी के मुह से ऐसे तर्क और जवाब सुनने को मिल जाते हैं कि लोग हतप्रभ रह जाते हैं वहाँ एक ही आदमी की हनक व धमक चलती है और वो है काशी का नाथ विश्वनाथ। इस शहर में दिन भर विश्वनाथ की सत्ता चलती है और रात में जब ठंडाई और भांग की तरंग चढ़ जाती है हर आदमी महादेव का अंश हो जाता है। काशी के बाशिंदों के ज्ञानचक्षु खुले हैं दिमाग के सारे कपाट खुले हैं। उन पर न तो लुभावना नारा असर करता है न ही आकर्षक किरदार।  आजकल यहाँ हर कदम पर मोदी चर्चा में हैं टी वी चैनलों ने तो भड़ैती के सारे रेकार्ड तोड़ दिए हैं। मजेदार चीज देखिये भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में पार्टी कहीं है ही नहीं। वह नमो का घोषणा पत्र है। सारे छुटभैये भाजपाई नमो नमो का जाप कर रहे हैं। ये नमो नमो मोदी के भाजपा के केंद्रीय मंच पर उदय के बाद मीडिया का नरेंद्र के न और मोदी के मो को लेकर दिया नाम है। भाजपा को यह नाम जम गया जबकि यह मोदी का निक नेम कभी नहीं रहा। और फिर वाराणसी में शिवत्व के लिए नारा दे दिया हर हर मोदी जो कि भारी पड़ गया। एक और बात मोदी विकास के मुद्दे को लेकर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन आज तक बता नहीं सके कि वो देश का कैसा विकास करेंगे टी वी चैनलों पर भी इस पर कोई बात नहीं कर रहा ऐसा लग रहा है जैसे देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए और संसद की सर्वोचता के लिए नहीं बल्कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव की तर्ज पर जनप्रतिनिधियों का नहीं प्रधानमन्त्री का चुनाव हो रहा है। निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से नेता चयन का उनका अधिकार भी हाइजेक कर लिया जा रहा है और सब चुप हैं। राष्ट्रीय मुद्दों पर कोई सार्थक बहस नहीं देश के भविष्य की कोई रणनीति नहीं। चुनाव हो रहा है कि कौन कितनी बेशर्मी से दुसरे को नंगा कर ले जाता है ऐसे नेता का। इसलिए बनारस तो एक नाम है। पांच साल बाद ये मौक़ा आया है जब हिसाब माँगा जा सकता है यदि अब चूके तो फिर पांच साल पछताना होगा। वक्त है चेत जाएं। जाने कि अगला अगले पांच साल क्या करेगा देश को कहाँ ले जाएगा। चाहे मोदी हों या राहुल या मुलायम , मायावती या कोई और यदि सत्ता इनको मिली तो करेंगे क्या। जब अभी इनके पास कोई रणनीति नही है तो क्या सत्ता पाने के बाद पांच साल रणनीति बनाएंगे। और फिर अगले चुनाव में चेहरा दिखाएंगे। जागो मतदाता जागो 

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