मोदी का हौव्वा सच से दूर

शिव के त्रिशूल पर बसी तीन लोकों से न्यारी काशी में सारे शिव गण इस समय नमो बुखार नामक छूत की बीमारी से पीड़ित हैं। अच्छी भली धार्मिक नगरी का मिज़ाज़ बिगड़ गया है। सुबह शाम के दुआ सलाम में महादेव का जाप करने वाले औघड़ दानी की नगरी के लोग शिव का नाम लेना भूल कर नमो नमो का राग  आलाप रहे हैं। अलस्सुबह गंगा मैया की डुबकी लगाने से लेकर शाम की गंगा आरती या चाय , दूध लस्सी और पान की अड़ी तक बस नमो नमो ही गूँज रहा है। भाजपा ने भी बहती में हाथ धोने के लिए हर हर मोदी घर घर मोदी का नारा गढ़ दिया। मानो मोदी शिव हो गए। चर्चा में रहना और वोट पाना मुझे व्यक्तिगत रूप से दो अलग अलग बातें लगती हैं। मुझे व्यक्तिगत रूप से मोदी की हरकतों से उनकी कामयाबी में संदेह ही संदेह दिखायी देता है।

क्या हैं मोदी की हरकतें 

१- भारतीय जनता पार्टी में  नरेन्द्र मोदी के उभार से शुरू हुआ अंतर कलह जो कि इस समय जबकि पूरी पार्टी को एकजुट दिखना चाहिए सतह पर आ चुका है। बी जे पी के सारे बड़े नेता हाशिये पर जा चुके हैं। मोदी की हिटलरशाही के आगे सभी बौने हो गए हैं। भाजपा का असली और नकली में विघटन अवश्यम्भावी दिखायी दे रहा है। 
२- टिकट वितरण में मोदी इम्पेक्ट साफ़ दिख रहा है। ऐसे सारे नेता हाशिए पर डाले जा रहे हैं जिनसे मोदी को ख़तरा है की चुनाव बाद वह उनकी राह का रोड़ा बन सकते हैं। इसमें यह भी नहीं देखा जा रहा है कि कौन सीट जीता सकता है कौन नहीं। 
३-सवाल यह भी है कि मोदी की हरकतों से यह साफ़ हो चुका है कि वह गुजरात के बाद भाजपा और देश को भी एक और गुजरात बनाने का मंसूबा बनाए बैठे हैं। 

क्यों कामयाब नहीं हो सकते मोदी 

१- इतिहास गवाह है जिस किसी का दामन दागदार हुआ है वह युगों के बीत जाने के बाद भी खुद को पाक साफ़ नहीं बता सका है। चाहे वह कलंक चन्द्रमा का हो या इंद्र का। मोदी के अबतक के क्रिया कलाप उनकी बेगुनाही की पुष्टि नहीं करते। जबकि उनके कद में उभार आने के बाद खुद उनकी पार्टी का लोकतंत्र ही रसातल में चला गया हो। 
२- क्या मोदी जनता को इतना बेवकूफ समझते हैं कि जनता उनकी पार्टी की स्थिति देखने के बाद भी उनकी कूटनीतिक चालों की सहभागी बनेगी। 
३- भाजपा को अपना उभार लाने के लिए बीस से तीस फीसद वोट की बढ़ोतरी चाहिए। पार्टी के टिकट वितरण के गुना गणित में ऐसा कुछ भी दिखायी नहीं देता। 
४-खुद मोदी भी बनारस से चुनाव लड़कर पूर्वांचल या बिहार की कुछ सीटों को प्रभावित कर पाएंगे ऐसा भी नही लग रहा है। 
५-यदि मुख्तार अंसारी बनारस से चुनाव न लड़े और कांग्रेस ने किसी मुस्लिम प्रत्याशी को मुकाबले में न उतारा तो मोदी का चुनाव फंस सकता है। और इन हालात में मोदी क्या करेंगे गुजरात वापस जाएंगे या भाजपा मोदी को मजबूत करने के लिए बनारस में रहेंगे।   

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